Monday, October 10, 2011

वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी


प्यारे दोस्तों,
आज के दिन एक मायूसी सी छाई हुई है सारे संगीत की दुनिया में | मुझे भी कुछ करने का मन नहीं करता क्यों की हमारे चहिदे जगजीत सिंहजी हमें छोड़ के चले गए| 
अब हम क्या कहें जगजीत सिंहजी  के बारे में | मैं कुछ भी अगर कहूँ, तो शायद मुझसे बढ़कर उनका कोई चहीदा मुझसे बेहेतर कुछ कह डालेगा |
अब से करीब ३० साल पूर्व मैं अपने काशी हिन्दू विश्वविध्यालय के हॉस्टल में जगजीत-चित्रा के मशहूर ग़ज़ल की tape चलाके वो सावन के शाम की ठंडी हवा अपने room और शारीर को चूमती हुई दिल में ऐसी मिठास महसूस करता था की उसका अब में व्याख्या भी नहीं कर सकता| "बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी" वो नज़्म मुझे आज तक by heart मालूम है | मुझे जगजीत सिंह को रुबरुह मिलने का मौका कभी नहीं मिला पर यह क्या काफी नहीं है की हम उनके रचनाओं से कई अनगिनत हसीन लम्हें के हक़दार हुए| भगवान उनके आत्मा को शांति दे और हमारे प्रिय चित्राजी को परम शक्ति दे की वोह अपने इस अत्यंत दुःख का सामना करने में सक्षम हों| जगजीत सिंह के याद में पेश है एक उनका अति सुन्दर ग़ज़ल|

गुलज़ार साहेब के उत्कृष्ट बोल
आओ हम सब पहन लें आइयीने (Let each of us wear a mirror)
सारे देखेंगे अपना ही चहेरा  (so that everyone else will see their own face)
सब को सारे हसीन लगेंगे यहाँ  (so everyone will look nice to everyone)

 


Welcome! स्वागत है

Welcome to my blog my dear web traveler. As the name of the blog suggests I will post one Hindi and one English entry alternatively. Today is a sad day for ghazal lovers because Jagjit Singh, one of the greatest ghazal singers of all time passed away. My first posting in Hindi is about him and his singing. Hope you enjoy it!


Much Peace